वेब सीरीज़ रिव्यू: खाकी द बिहार चैप्टर / Web Series Review: Khakee The Bihar Chapter

Khakee The Bihar Chapter Review

खाकी’ की कहानी (Khakee The Bihar Chapter Review) राजस्थान के रहने वाले 25 साल के अमित लोढ़ा (करण टैक्कर) नई नवेली दुल्हन के साथ बिहार पहुंचते हैं। आईपीएस बनते ही यहां उनकी पहली पोस्टिंग हुई है। जब बिहार की जनता अपराध, चोरी-चकारी, खून-खराबा और जात-पात के साथ राजनीतिक भ्रष्टाचार से जूझ रही थी तो इस जोशीले लड़के ने इस माहौल को बदलने का प्रयास किया। पहली ही बारी में अपनी जूझबूझ से उसने रेल हड़ताल को रोका तो दूसरी बार में सासंद के भाई (रवि किशन) और चंदन महतो (अविनाश तिवारी) को जेल पहुंचाकर शहर को साफ किया।

इसके बाद उनकी पोस्टिंग शेखपुरा, बेगूसराय से लेकर मुजफ्फरपुर तक होती है। अमित लोढ़ा धीरे धीरे बिहार के सिंघम बन गए तो दूसरी ओर अपराध के दलदल में फंसते छोटी जात के चंदन महतो अपराध की राजधानी के नए किंग बनते हैं। चंदन महतो का नरसंहार और सिंघम का अंदाज 7 एपिसोड में चलता जाता है।

अभिनय (Khakee The Bihar Chapter)

रवि किशन का रोल काफी छोटा है लेकिन बढ़िया है। करण टैक्कर और अविनाश तिवारी के कंधों पर नीरज पांडे ने पूरी जिम्मेदारी डाली है। अविनाश तिवारी ने इस जिम्मेदारी को पूरा करने का प्रयास किया है। वह चंदन के किरदार में कहीं डरपोक तो कहीं खूंखार दिखते हैं। वहीं रफ एंड टफ अमित लोढ़ा के किरदार में करण टैक्कर भी अपना 100% देते दिखे हैं। करण पहले भी नीरज पांडे के साथ स्पेशल ऑप्स वेब सीरीज में काम कर चुके हैं। वहीं करण जो कभी एक हजारों में मेरी बहना है सीरियल में बेहद स्वीट अंदाज में दिखते थे। उनका नीरज पांडे बढ़िया इस्तेमाल किया है। अभिनय की बात हो रही है तो आशुतोष राणा और ऐश्वर्या सुष्मिता की तारीफ करना बनता है। जिन्होंने अपनी प्रतिभा से किरदार में जान डाल दी।

खाकी का रिव्यू (Khakee The Bihar Chapter Review)

जो चंदन कभी डीजल चुराया करता था वो कैसे अपराध का दुनिया का किंग बनादिया जाता है, इसे लेखक पूरी तरह भूनाने में मात खा जाते हैं। लेखक और डायरेक्टर दोनों ने इस सीरीज को ‘मिर्जापुर’, ‘रंगबाज’, ‘गंगाजल’ जैसी फिल्मों का टच देनी की कोशिश की है। बस इसी ट्रीटमेंट की वजह से खाकी (Khakee The Bihar Chapter) एवरेज से ऊपर नहीं उठ पाती। ‘पुलिस बनाम गैंगस्टर’ पर पहले भी कई सीरीज और फिल्में बन चुकी हैं। इस ‘खाकी’ में उनसे अलग कुछ नया देखने को नहीं मिलता है।

‘स्पेशल ऑप्स’ वेब सीरीज जैसा करंट इस बार नीरज पांडे पैदा करने में सफल नहीं हुए हैं। इसका कारण यही है कि इस बार रचियता तो नीरज पांडे थे लेकिन निर्देशन की कमान भव धूलिया के हाथों में थीं जो ‘रंगबाज’ जैसी तारीफ-ए-काबिल वेब सीरीज लेकर आए थे। भव धूलिया के साथ दिक्कत ये हुई कि वह एक बार फिर हूबहू वैसी ही क्राइम वेब सीरीज के साथ हाजिर हुए हैं जिसका केलवर और ट्रीटमेंट बिल्कुल वैसा ही है। इन सब वजहों से खाकी (Khakee The Bihar Chapter) न तो यादगार बना पाई है और न ही बोझिल लगती है।

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