Farzi Review: सुप्रसिद्ध निर्देशक द्वय राज और डीके की नयी वेब सीरीज – फर्ज़ी (Farzi). अमेजन प्राइम वीडियो (Amazon Prime Video) पर हाल में रिलीज़ फ़र्ज़ी में शाहिद कपूर, विजय सेतुपति, केके मेनन, अमोल पालेकर, और राशि खन्ना जैसे कलाकार मौजूद हैं. दर्शकों को नया कुछ नहीं मिला है लेकिन पैकेजिंग नयी मिली है. सीरीज है मज़ेदार, देखने जैसी है लेकिन नाम की ही तरह Farzi है.
जानिए फिल्म की कहानी
ब्रेकिंग बैड में केमिस्ट्री पढ़ाने वाले एक स्कूल टीचर को कैंसर हो जाता है. टीचर कहीं के भी हों, गरीब हो होते हैं. अपने परिवार के लिए कुछ न छोड़ कर जाने का ख्याल उसे कचोटता रहता है. अपने एक पुराने खुराफाती स्टूडेंट की मदद से वो अपने केमिस्ट्री के ज्ञान का इस्तेमाल एक बेहतरीन ड्रग बनाने के लिए करता है. जिस ड्रग डीलर को वो अपनी बनायीं ड्रग्स बेचते हैं उसके पीछे पुलिस पड़ जाती है तो वो इन दोनों को किडनैप कर लेता है. और फिर ये कहानी करीब 5 सीजन तक चलती है… जिसमें कई कलाकार आते जाते रहते हैं.
अब Farzi की कहानी देखिये. शाहिद कपूर एक बेहतरीन स्केच आर्टिस्ट और पेंटर है. उसके नानाजी की प्रिंटिंग प्रेस है जहाँ से वो क्रांति नाम का अख़बार निकालते हैं. इस अख़बार और प्रिंटिंग प्रेस पर चढ़े भरी भरकम कर्ज़े को उतारने के लिए और अपने नाना को बचाने के लिए शाहिद अपने जिगरी दोस्त फिरोज के साथ मिल कर अपनी प्रिंटिंग प्रेस में नकली नोट छापते हैं. नोट की डिज़ाइन और प्रिंटिंग शानदार होती है तो वो खूब चलता है. एक दिन उन्हें एक बड़ा गैंगस्टर मिलता है जो उन्हें बहुत बड़ा आर्डर देता है. उस गैंगस्टर के पीछे पुलिस पड़ी होती है तो वो भी इन दोनों को ख़त्म करने का प्लान बना लेता है. लेकिन वो अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाता. फिर कहानी ऐसे मोड़ पर ख़त्म होती है जहाँ दूसरे सीजन की गुंजाईश होती है.
Farzi में कई ऐसे सीन या रिफरेन्स मौजूद हैं जो इसे ब्रेकिंग बैड का भारतीय वर्शन बनाते हैं. जब शाहिद कपूर कहता है कि वो जो भी कर रहा है वो उसे अंदर से गलत नहीं लग रहा तो हमें ब्रेकिंग बैड के ब्रायन क्रैंस्टन की याद आ ही जाती है. शाहिद और फिरोज (कमाल के अभिनेता भुवन अरोरा) जब नोटों के पहाड़ पर बैठते हैं या जब वो नोट छाप रहे होते हैं और अचानक पुलिस आ जाती है तो शाहिद अपने हाथ में बड़ा पाना ले कर उसे मारने की सोचने लगता है और फिर बड़े अफसर का फ़ोन आने से पुलिस को जाना पड़ता है, बिना छापा मारे तो एक दम ब्रेकिंग बैड नज़र आता है. शाहिद का ट्रांसफॉर्मेशन, एक आर्टिस्ट से लेकर गलत तरीकों से कमाई हुई दौलत उड़ाने वाला, पूरी तरह ब्रेकिंग बैड है. पुलिस से बचने के लिए रास्ते में नोट उड़ाने का तरीका हो या पुलिस चीफ के कमरे में ट्रांसमीटर छुपाने तक (फ़र्ज़ी में राशि खन्ना के फ़ोन में टैपिंग सॉफ्टवेयर इनस्टॉल कर के)…ऐसी कई बातें हैं जो कि फ़र्ज़ी को ब्रेकिंग बैड का भारतीय वर्शन बनाती हैं.