Class’ Web Series Review: ये कौन-सी ‘क्लास’ है, ये कौन-सा स्कूल है?/Class’ Web Series Review: Which ‘Class’ is this, which school is this?

Class' Web Series Review

क्लास ये वेब सीरीज, स्पेनिश सीरीज ‘इलीट’ का हिंदी अडाप्टेशन है और दर्शकों के लिए एक खतरे की घंटी भी है। ये घंटी इसलिए है कि जिस परिवेश को इस सीरीज में दिखाया गया है, आम आदमी को या मध्यम वर्गीय परिवारों को लग सकता है कि ये परिवेश होता है और उनके बच्चे उसमें बिगड़ जायेंगे, लेकिन वे इसे रोकने के लिए कुछ नहीं कर पाएंगे।

जानिए क्या कुछ हो सकता है आपके लिए

इस तरह की कहानी या इस तरह की घटना/ दुर्घटना सिर्फ कल्पनाओं में ही हो सकती है इसलिए कई बातों की लिबर्टी ली गयी है. कहानी, नूरपुर खटोला के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले तीन गरीब बच्चों की है – धीरज कुमार वाल्मीकि (पियूष खाती), सबा मंजूर (मध्यमा सहगल) और बल्ली सहरावत (कवई सिंह) की।इनके स्कूल की बिल्डिंग में आग लगा दी जाती है और फिर इन्हें कॉम्पेन्सेशन के नाम पर दिल्ली के सबसे बड़े और महंगे स्कूल, हैम्पटन इंटरनेशनल में फ्री भर्ती करा दिया जाता है।

दिल्ली के सबसे बड़े रईसों के बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं. बहुत ऊंची और बहुत नीची क्लास के इन बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाना नामुमकिन के बराबर होता है।जिस बिल्डर ने इन गरीब बच्चों के स्कूल को आग लगवाई होती है, उसके बच्चे भी इन गरीबों की क्लास में पढ़ते हैं. पूरी सीरीज में इन दोनों किस्म के बच्चों के आपसी संघर्ष की कहानी दिखाई गयी है लेकिन इस में बिल्डर की विद्रोही बेटी की मौत के साथ सीरीज खत्म होती है और पुलिस सब से पूछताछ कर रही होती है।इलीट के 6 सीजन आये थे तो उम्मीद है कि क्लास के भी 6 सीजन आएंगे।

अव्वल तो ये कहानी हिंदुस्तान में हो नहीं सकती इसलिए दर्शकों को इसे कपोल कल्पना की तरह देखना चाहिए

अव्वल तो ये कहानी हिंदुस्तान में हो नहीं सकती इसलिए दर्शकों को इसे कपोल कल्पना की तरह देखना चाहिए।जिस तरह के स्कूल की कल्पना की गयी है (हैम्पटन इंटरनेशनल) वो किस शहर में होते हैं. लड़के-लड़कियां को शोफर ड्रिवेन कार स्कूल छोड़ने आती है. किसी किसी के साथ उसका पर्सनल बॉडीगार्ड भी होता है. कुछ स्कूल की पार्किंग में, कार सेक्स कर रहे होते हैं तो किसी को अपने बिस्तर में तीसरा साथी चाहिए होता है तो कोई अपने बॉयफ्रेंड को किसी और लड़की को पटा कर सेक्स टेप बनाने के लिए कह रही होती है। मां की बर्थडे पार्टी में स्ट्रिपर आते हैं और पिता को अपने धंधे के लिए गरीबों का स्कूल जलाने से भी गुरेज नहीं होता।ये कहां होता है? ये कौनसा स्कूल है? ये कौनसी क्लास है? ये कहां से आते हैं लोग?

वैसे हर साल एक मैगजीन “सेक्स सर्वे” करती है जिसमें ऊटपटांग किस्म के सवालों से भारत के करीब एक दर्जन शहरों के चुनिंदा लोगों की सेक्स सम्बन्धी इच्छाएं, फैंटसीज और आदतें जानी जाती है. कई बार लगता था कि ये सब भी होता है भारत में, लेकिन अब इसको लेकर कोई वितृष्णा या आश्चर्य नहीं होता. विदेशों का कॉन्टेंट और पोर्न फिल्म्स देख कर, लोगों के मन में मानसिक विकृतियों ने घर कर ही लिया है।लेकिन ये सब स्कूल में हो रहा है, देख कर घृणा आती है।

कहानी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स एकदम जोरदार हैं

कहानी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स एकदम जोरदार हैं. कहानी तो चूंकि ओरिजिनल स्पेनिश सीरीज की ही है लेकिन स्क्रीनप्ले और डायलॉग पूरी तरह से भारतीय हैं. लेखक मण्डली का काम अद्भुत कहा जा सकता है।गरीब छात्र रेव पार्टी करते हैं, जहां उनके अमीर क्लास्मेट्स एक पुरानी बस्ती में बसी पुरानी सी बिल्डिंग में चले आते हैं. शराब, अफीम, गांजा और ड्रग्स इस गरीब रेव पार्टी में खुले आम मिलता है या बिकता है।

इस बिल्डिंग के घटिया से बाथरूम में दो स्टूडेंट सेक्स भी कर लेते हैं. गरीब छात्रों को अमीरों की पार्टी में इन्वाइट मिलता है तो अमीर दोस्त, अपने पैसों से गरीब दोस्त के कपडे खरीदते हैं. अमीर दोस्त शराब पानी की तरह पीते हैं और गरीब दोस्तों को इतने बड़े घर देख कर सिवाय आश्चर्य के कुछ नहीं होता. गरीब छात्र, अमीर छात्रों के घर में असहज नहीं होते बल्कि उनके स्विमिंग पूल में उतर भी जाते हैं. मतलब की कुछ भी हो रहा है? ये कौन लोग हैं, ये कौनसा स्कूल है, ये किस तरह का इकनॉमिक डिवाइड है जो है मगर कभी देखा नहीं गया, सुना नहीं गया।

जानिए अभिनय के बारे में

अभिनय की बात कर लेते हैं, सब का अभिनय अच्छा है. अंजलि शिवरामन को पहले भी एक दो सीरीज में देखा हुआ है. इस सीरीज में उनका काम ठीक है, अपने पूंजीपति पिता और सोशलाइट मां से विद्रोह करती, ड्रग एडिक्ट लड़की. पियूष खाती को पहले एक्सट्रैक्शन नाम की फिल्म में दिख चुके हैं. बाकी लगभग सभी कलाकार नए हैं या उनका पुराना काम कुछ खास नहीं है. ऋतु शिवपुरी को देख कर आश्चर्य हुआ. कबीर सदानंद और केतन सिंह के रोल बहुत ही छोटे और महत्वहीन बना दिए गए थे. पुलिस वालों की भूमिका में विजय कुमार डोगरा और नीरज खेत्रपाल बहुत ही विश्वसनीय लगे हैं।

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