Avatar 2 Review: पानी के नीचे होने वाली जंग की है हैरतअंगेज दास्तां/Avatar 2 Review: Amazing tale of underwater warfare

Avatar 2 Review

रिश्तों की कहानी का नया अवतार

Avatar 2 Review फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ देखते समय यूं लगता है कि हम हिंदी सिनेमा के उस डीएनए का हॉलीवुड अवतार देख रहे हैं जिसमें पारिवारिक मूल्यों, मानवीय संबंधों और सामाजिक अवधारणाओं को शुरू से पुष्ट किया जाता रहा है। कहानी उसी पैंडोरा की है जहां धरती के इंसानों को पहले एक बेशकीमती खनिज की तलाश थी, लेकिन अब कहानी 10 साल आगे आ चुकी है। धरती इंसानों के रहने लायक नहीं बची है और तलाश है एक ऐसे ग्रह की जहां इंसानों की बस्तियां बसाई जा सकें।

पूरी तरह से नावी बन चुके जेक सली और उसकी नावी प्रेमिका नेतिरी का परिवार बढ़ रहा है। दो बेटे हैं। एक बेटी है। और, एक गोद ली हुई बेटी भी। साथ में एक इंसानी किशोर भी है जिसे इंसानों से ज्यादा नावी समुदाय के बीच रहना भाता है। कर्नल माइल्स भले पिछली फिल्म में मर गया हो लेकिन उसकी यादों और उसके डीएनए से उसका अवतार बनाया जा चुका है। उसकी टुकड़ी भी नए अवतार में हैं। इनका मकसद है जेक सली को तलाशना और उसे खत्म करना।

फिल्म का हर सीन कर देगा सरप्राइज

‘Avatar 2 Review अवतार – द वे ऑफ वॉटर’ का हरेक सीन, हरेक फ्रेम कुछ इस खूबसूरती के साथ गढ़ा गया है कि दर्शक विस्मित यानी कि सरप्राइज हुए बिना रह पाएंगे और फिल्म देखते वक्त उनके जेहन में बस यही ख्याल बार-बार आता रहेगा कि आखिर जेम्स कैमरून ने पैनडोरा नामक दुनिया को एक बार फिर से किस तरह से सोचा, लिखा और उसे हकीकत में उतारा होगा।

फिल्म में इंसानी जज्बातों की दी गई तवज्जो

बागी होकर एक नावी बन जा‌नेवाले और पैनडोरा में बस जानेवाले जैक सली से बदला लेने और पैनडोरा पर कब्जा जमाने की इस कहानी में इंसानी जज्बात को भी काफी तरजीह दी गयी है. देखा जाए तो पूरी फिल्म जैक सली और उसके परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है जिसे डायरेक्टर जैम्स कैमरून ने बड़े ही जज्बाती ढंग से बयां किया है.

थ्री डी फॉर्मेट में देखी जानी चाहिए फिल्म

Avatar 2 Review 13 साल बाद रिलीज हुई फिल्म‌ ‘अवतार’ की सीक्वल ‘अवतार – द वे ऑफ वॉटर’ जैम्स कैमरून के लाजवाब इमैजिनेशन और आधुनिक टेक्नोलॉजी का ऐसा खूबसूरत संगम है कि इसे सिनेमा के बड़े पर्दे पर और हो सके तो थ्री डी फॉर्मेट में देखा जाना चाहिए. फिल्म 3.12 घंटे लम्बी है और ऐसे में फिल्म कहीं-कहीं पर नीरस होने का एहसास भी पैदा करती है, लेकिन टोटैलिटी में यह फिल्म जेम्स कैमरून का ऐसा सिनेमाई कारनामा है जिसे लम्बे समय तक तक याद किया जाएगा.

इंसान और जानवर की दोस्ती का अवतार

Avatar 2 Review फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन मूल विषय नहीं है। इस बार जेम्स कैमरून ने मानवीय और सामुदायिक संवेदनाओं को फिल्म के केंद्र बिंदु में रखा है। एक अनुशासनप्रिय पिता से दुखी बेटे को सुकून की तलाश है। उसे उस विशालकाय व्हेल में ये शांति मिलती है जिसे उसके समुदाय ने ही तिरस्कृत कर रखा है। दो अवांछितों की ये मित्रता फिल्म की मजबूत कड़ी है। और, इस दोस्ती को दर्शाने में कैमरून ने सिनेमा की तमाम नई तकनीकें ईजाद कर डाली हैं। पानी के भीतर इंसानी भावों को कैमरे में कैद करना और फिर कंप्यूटर जनित किरदारों का चोला पहनाकर उन्हें बिल्कुल नए स्वरूप में परदे पर पेश कर देना दर्शकों को अचंभित करता है।

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